अधूरी बारिशें

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अधूरी बारिशें


“अधूरी बारिशें” बारिश की पहली बूंद के साथ वही पुराना शहर जाग उठा… और उसके दिल में फिर लौट आई पाँच साल पुरानी एक कहानी। वहीं कैफ़े… वही खिड़की… और अचानक पीछे से आई एक आवाज़— “तुम अब भी बारिश में भीगने से नहीं डरती…?” वो समीर था। वो आरुषि थी। और उनके बीच पाँच साल की खामोशी… जो आज एक बारिश ने फिर से जगा दी। क्या प्यार सच में लौट आता है? क्या टूटी हुई कहानियाँ दोबारा पूरी हो सकती हैं? या फिर कुछ बारिशें हमेशा अधूरी ही रह जाती हैं? जानिए… “अधूरी बारिशें” की उस भीगी गली में, जहाँ दो दिल फिर से एक-दूसरे की धड़कनें पहचानने लगे। By सुनीता गुप्ता
: Sunita

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