दुर्गा जिसे है अपने अस्तित्व की तलाश, उसे तलाशने हैं अपने कई सवालों के जवाब। तो क्या मिल पाएंगे दुर्गा को उसके सवालों के जवाब या हो जाएगी वो अपनी सौतेली माँ और समाज में फैली गंदगी का शिकार? साथ ही है उसे अपने करियर चिंता तो क्या वो पहुंचेगी अपनी मंजिल तक या खो देगी अपने आप को उन सवालों के जवाब ढूंढने में जिसका मिलना इतनी जल्दी शायद मुश्किल है? ये सब जानने के लिए पढ़िए मेरी ये रचना "दुर्गा - अस्तित्व की तलाश"
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