इस पुस्तक में कृष्ण के बालरूप की मधुर लीलाओं को कविता और कथा के संगम में पिरोया गया है। गोकुल की गलियों से उठती हँसी, माखनचोरी की मासूमियत, और माँ यशोदा के आँचल की ममता — हर अध्याय एक नई लीला, हर पंक्ति में भक्ति की मिठास। यह सिर्फ़ कहानियाँ नहीं, भावनाओं की यात्रा है — जहाँ हर पाठक को अपने भीतर का नन्हा कृष्ण झलकने लगेगा।
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